झारखंड में सरहुल महापर्व के दौरान बिजली कटौती को लेकर हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है। न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले पर सरकार और बिजली विभाग से जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि आस्था और सांस्कृतिक पर्वों में इस तरह की बाधा अस्वीकार्य है और भविष्य में ऐसा दोबारा नहीं होना चाहिए।
सरहुल महापर्व और बिजली कटौती का विवाद
सरहुल झारखंड के आदिवासी समाज का प्रमुख पर्व है, जो प्रकृति की आराधना और नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व आदिवासी समुदाय की संस्कृति, परंपरा और आस्था का प्रतीक है।
इस वर्ष, जब श्रद्धालु सरहुल की पूजा और समारोहों में लीन थे, कई जिलों में बिजली की आपूर्ति बाधित कर दी गई। इससे लोगों में भारी नाराजगी देखी गई। विभिन्न संगठनों और नागरिकों ने इस कृत्य को जानबूझकर की गई लापरवाही बताया और प्रशासन से जवाबदेही की मांग की।
हाईकोर्ट का स्वतः संज्ञान और निर्देश
झारखंड हाईकोर्ट ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए स्वतः संज्ञान लिया और बिजली विभाग से पूरी घटना की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि धार्मिक और सांस्कृतिक पर्वों के दौरान बिजली कटौती एक गंभीर मुद्दा है, जो नागरिकों के अधिकारों का हनन करता है।
हाईकोर्ट के महत्वपूर्ण निर्देश:
- भविष्य में सरहुल या किसी अन्य धार्मिक पर्व के दौरान बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
- बिजली कटौती की जिम्मेदारी तय कर दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।
- बिजली विभाग को पारदर्शी नीति अपनाने और सुधार योजनाएं लागू करने के निर्देश दिए गए।
- सरकार को सुनिश्चित करने के लिए एक कार्ययोजना तैयार करने का आदेश दिया गया।
बिजली कटौती का प्रभाव और लोगों की प्रतिक्रिया
सरहुल उत्सव के दौरान बिजली कटौती से न केवल धार्मिक आयोजन प्रभावित हुए, बल्कि कई जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी बाधित हो गए। श्रद्धालुओं और आयोजकों ने इस घटना पर गहरी नाराजगी जताई।
प्रभावित क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन:
- रांची, जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो, हजारीबाग जैसे बड़े शहरों में स्थानीय संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया।
- आदिवासी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे संस्कृति और आस्था के प्रति प्रशासन की उदासीनता करार दिया।
- कई राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे को उठाया और सरकार से जवाबदेही की मांग की।
सरकार और बिजली विभाग की सफाई
बढ़ते विरोध और न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद झारखंड सरकार और बिजली विभाग ने अपनी सफाई पेश की। सरकार ने कहा कि बिजली कटौती तकनीकी कारणों से हुई थी और इसका कोई राजनीतिक या सांप्रदायिक कारण नहीं था। साथ ही, बिजली विभाग ने कहा कि भविष्य में ऐसे आयोजनों के दौरान विशेष सतर्कता बरती जाएगी।
भविष्य के लिए क्या बदलाव जरूरी हैं?
सरहुल में बिजली कटौती के मुद्दे से सीख लेते हुए न्यायालय और सरकार ने बिजली आपूर्ति को मजबूत बनाने के लिए कुछ उपायों पर विचार किया है:
- त्योहारों और विशेष आयोजनों के दौरान आपातकालीन बिजली आपूर्ति योजना बनाई जाए।
- स्थानीय प्रशासन और बिजली विभाग में बेहतर समन्वय सुनिश्चित किया जाए।
- बिजली अवसंरचना को अपग्रेड कर आपूर्ति में स्थिरता लाई जाए।
- अगर किसी आपात स्थिति में बिजली कटौती करनी पड़े, तो पहले से जनता को सूचित किया जाए।

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