साल 2025 में झारखंड में आई भीषण बारिश और बाढ़ ने राज्य के विभिन्न जिलों में जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। मानसून के इस रौद्र रूप ने जहां एक ओर किसानों की फसलें बर्बाद कर दीं, वहीं दूसरी ओर आम जनता के जीवन पर भी भारी असर डाला है। स्कूल, अस्पताल, सड़कें, घर—कुछ भी सुरक्षित नहीं रह गया है। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि झारखंड कैसे डूबा पानी में, किन जिलों में बाढ़ सबसे ज़्यादा असर दिखा रही है, सरकार की तैयारी क्या रही, राहत कार्यों की स्थिति कैसी है, और आम लोग किन समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
1. बारिश का प्रकोप – कहाँ-कहाँ डूबा झारखंड?
2025 के मानसून सीजन की शुरुआत ही भारी बारिश के साथ हुई थी। जून के मध्य से लेकर अब तक, राज्य के विभिन्न हिस्सों में सामान्य से दोगुनी वर्षा रिकॉर्ड की गई है। खासकर निम्नलिखित जिलों में हालात गंभीर बने हुए हैं:
- रांची: राजधानी शहर में कई इलाके जलमग्न हो गए हैं। कांके, अशोक नगर, हरमू, डोरंडा और रातू रोड जैसे क्षेत्रों में घुटनों तक पानी भर गया है।
- हजारीबाग: हजारीबाग झील ओवरफ्लो कर गई, जिससे आस-पास के गांव डूब गए हैं।
- धनबाद: कोयला खदानों में पानी भरने से खनन कार्य प्रभावित हुआ है।
- जमशेदपुर: निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात हैं। टाटानगर रेलवे स्टेशन तक पानी पहुंच गया।
- चाईबासा और खूंटी: कई ग्रामीण इलाकों में सड़क संपर्क टूट गया है।
2. वर्षा के आँकड़े – सामान्य से अधिक
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार:
- सामान्य औसत: 300 मिमी (जून)
- 2025 में अब तक: 680 मिमी+
- सबसे ज़्यादा वर्षा: रांची (720 मिमी), हजारीबाग (690 मिमी)
यह अत्यधिक वर्षा मुख्यतः बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र के कारण हुई है, जिससे लगातार कई दिनों तक बारिश होती रही।
3. जनजीवन पर असर
⛈️ 1. यातायात बाधित:
- कई प्रमुख सड़कें और पुल डूब चुके हैं।
- ग्रामीण इलाकों में संपर्क पूरी तरह टूट गया है।
- रेलवे ट्रैक पर पानी भरने से ट्रेनें रद्द/विलंबित हो गईं।
🏠 2. घरों में पानी:
- निचले इलाके जलमग्न हैं।
- कई परिवारों ने स्कूलों और पंचायत भवनों में शरण ली है।
- स्लम बस्तियों में हालात अत्यंत गंभीर हैं।
⚡ 3. बिजली और जलापूर्ति ठप:
- कई जगह ट्रांसफॉर्मर डूब गए हैं।
- पेयजल आपूर्ति बाधित है।
- बिजली विभाग ने कई इलाकों में सुरक्षा हेतु सप्लाई बंद कर दी है।
4. सरकार की प्रतिक्रिया
राज्य सरकार ने आपातकालीन मीटिंग बुलाकर राहत कार्यों में तेजी लाने के आदेश दिए हैं।
👉 कदम:
- एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों की तैनाती।
- रेस्क्यू बोट्स और हेलीकॉप्टर से राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है।
- जलभराव वाले इलाकों में मेडिकल कैंप लगाए जा रहे हैं।
- अस्थायी राहत शिविर में भोजन, पीने का पानी, दवा की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हालात का निरीक्षण कर खुद कई इलाकों का दौरा किया और भरोसा दिलाया कि कोई भी नागरिक अकेला नहीं छोड़ा जाएगा।
5. सोशल मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया
लोगों ने #JharkhandFloods2025 और #SaveRanchi जैसे हैशटैग से ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अपनी व्यथा व्यक्त की है।
“हरमू कॉलोनी में दो दिन से घर में पानी है, न बिजली है न दूध। प्रशासन मदद करे।”
“बच्चे बीमार हैं और एंबुलेंस नहीं आ रही।”
“पानी इतना भर गया है कि ऑफिस जाना तो छोड़िए, खाना पकाना भी मुश्किल हो गया है।”
6. शिक्षा और स्वास्थ्य पर असर
- स्कूलों और कॉलेजों को 10 दिन के लिए बंद कर दिया गया है।
- कई स्कूल राहत शिविरों में बदल दिए गए हैं।
- डेंगू, मलेरिया, स्किन इन्फेक्शन जैसे रोगों का खतरा बढ़ गया है।
7. किसानों की स्थिति
“धान की रोपाई से पहले ही खेतों में पानी भर गया है।”
- फसलें बर्बाद हो गई हैं।
- ट्यूबवेल और सिंचाई की व्यवस्था ठप।
- पशुपालन भी प्रभावित।
सरकार ने फसल बीमा योजना के तहत किसानों को मुआवज़ा देने का आश्वासन दिया है।
8. राहत कार्यों में बाधाएं
- लगातार बारिश से राहत कार्य बाधित।
- कई इलाकों में प्रशासन नहीं पहुंच पा रहा।
- बोट और नावों की संख्या सीमित।
9. भविष्य की तैयारी – क्या करना चाहिए?
विशेषज्ञों की मानें तो झारखंड जैसे राज्यों को अब जल-जमाव और शहरी बाढ़ की चुनौती के लिए तैयार रहना होगा:
- ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करना अनिवार्य।
- शहरी प्लानिंग में जल निकासी को प्राथमिकता।
- नदी किनारे और निचले इलाकों में निर्माण पर रोक।
- समय रहते बाढ़ पूर्व चेतावनी प्रणाली लागू करना।

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