आज के समय में लोग स्वास्थ्य के प्रति पहले से अधिक जागरूक हो चुके हैं। रसायनों और कीटनाशकों से भरपूर खाद्य पदार्थों के दुष्प्रभाव के कारण अब उपभोक्ता प्राकृतिक और जैविक (ऑर्गेनिक) खाद्य उत्पादों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। यही कारण है कि ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming) आज एक तेजी से उभरता हुआ व्यवसायिक विकल्प बन चुका है। यह न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि किसानों और उद्यमियों के लिए भी एक लाभकारी बिज़नेस आइडिया है।
इस ब्लॉग पोस्ट में हम जानेंगे कि ऑर्गेनिक खेती क्या है, इसे कैसे शुरू किया जा सकता है, इसकी लागत, लाभ, सरकारी सहायता, विपणन (Marketing) रणनीति, और सफल होने के बेहतरीन टिप्स।
ऑर्गेनिक खेती क्या है?
ऑर्गेनिक खेती एक ऐसी कृषि प्रणाली है जिसमें सिंथेटिक उर्वरक, कीटनाशक, हार्मोन और आनुवंशिक रूप से परिवर्तित जीवों (GMO) का प्रयोग नहीं किया जाता। इसमें जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट, गोबर की खाद, नीम का तेल आदि प्राकृतिक साधनों का उपयोग कर खेती की जाती है। यह पद्धति मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखती है और पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करती।
भारत में ऑर्गेनिक खेती की स्थिति
भारत में ऑर्गेनिक खेती का इतिहास सदियों पुराना है। आज सरकार द्वारा ‘परंपरागत कृषि विकास योजना’ (PKVY), ‘मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट’ जैसी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, सिक्किम, और उत्तराखंड जैसे राज्यों में यह खेती तेजी से बढ़ रही है। भारत ऑर्गेनिक उत्पादों का एक प्रमुख निर्यातक भी बन चुका है।
ऑर्गेनिक खेती व्यापार कैसे शुरू करें?
1. ज़मीन और स्थान का चयन
ऑर्गेनिक खेती के लिए ऐसी भूमि चुनें, जहाँ पिछले 2-3 वर्षों से रासायनिक खादों का प्रयोग न हुआ हो। मिट्टी की जांच (Soil Testing) अवश्य करवाएं।
2. प्रमाणन (Certification)
ऑर्गेनिक खेती के उत्पादों को बेचने के लिए ‘ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन’ ज़रूरी है। भारत में PGS-India और NPOP (National Program for Organic Production) के तहत प्रमाणन किया जाता है।
3. बीज का चयन
जैविक बीजों का प्रयोग करें। इन्हें प्रमाणित संस्थानों या कृषि विश्वविद्यालयों से प्राप्त किया जा सकता है।
4. जैविक खाद और कीटनाशकों का उपयोग
- वर्मी कम्पोस्ट
- गोबर की खाद
- नीम का तेल
- जैव उर्वरक (Biofertilizer)
- जीवामृत, घनजीवामृत, पंचगव्य आदि देशी उपाय
5. फसल का चयन
आप ऐसी फसलों का चयन करें जिनकी ऑर्गेनिक डिमांड अधिक हो जैसे कि:
- सब्जियाँ (टमाटर, भिंडी, लौकी)
- अनाज (गेहूं, चावल)
- दालें (चना, मसूर)
- मसाले (हल्दी, धनिया)
- फल (केला, अमरूद, आम)
लागत और लाभ का अनुमान
खर्च का नाम | अनुमानित लागत (प्रति एकड़) |
---|---|
जमीन की तैयारी | ₹10,000 – ₹15,000 |
बीज | ₹3,000 – ₹5,000 |
वर्मी कम्पोस्ट व खाद | ₹10,000 – ₹15,000 |
सिंचाई एवं उपकरण | ₹5,000 – ₹10,000 |
प्रमाणन और मार्केटिंग | ₹10,000 – ₹20,000 |
कुल लागत | ₹40,000 – ₹60,000 |
एक एकड़ में ऑर्गेनिक उत्पादों से ₹80,000 से ₹1,20,000 तक की कमाई की जा सकती है। यानी ₹30,000 से ₹60,000 का शुद्ध लाभ प्रति सीजन संभव है।
सरकारी योजनाएं और सहायता
- परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY): छोटे किसानों को जैविक खेती के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- NABARD सब्सिडी योजना: कृषि उपकरण, वर्मी कम्पोस्ट यूनिट के लिए ऋण और सब्सिडी।
- राष्ट्रीय जैविक कृषि मिशन: ट्रेनिंग, प्रमाणन, मार्केटिंग और प्रोसेसिंग के लिए मदद।
- कृषि विज्ञान केंद्र (KVK): तकनीकी मार्गदर्शन और फील्ड सपोर्ट।
ऑर्गेनिक खेती में विपणन (Marketing)
ऑर्गेनिक उत्पादों का मार्केटिंग पारंपरिक फसलों से अलग होता है:
1. लोकल मार्केट
स्थानीय सब्जी मंडियों, हाट-बाजार में “ऑर्गेनिक” टैग के साथ प्रीमियम प्राइस में बेच सकते हैं।
2. रिटेल स्टोर्स
ऑर्गेनिक उत्पाद बेचने वाली दुकानों (जैसे BigBasket, Organic India, Patanjali आदि) से संपर्क करें।
3. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म
Amazon, Flipkart, BigBasket जैसे प्लेटफॉर्म पर बेच सकते हैं।
4. डायरेक्ट कस्टमर सेल
ग्राहकों से सीधा संपर्क बनाकर प्री-बुकिंग के आधार पर सप्लाई करें।
ऑर्गेनिक खेती की चुनौतियाँ
- प्रमाणन प्रक्रिया लंबी और खर्चीली होती है।
- उत्पादन शुरू में कम हो सकता है क्योंकि जमीन को रासायनिक मुक्त बनाने में समय लगता है।
- ऑर्गेनिक खाद और कीटनाशक प्राप्त करना कई जगहों पर कठिन होता है।
- बाजार में प्रतिस्पर्धा अधिक होती है और जागरूक ग्राहक कम होते हैं।
सफलता के लिए जरूरी टिप्स
- शुरुआत छोटे पैमाने से करें।
- ऑर्गेनिक खेती से संबंधित प्रशिक्षण अवश्य लें।
- सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके अपने उत्पाद की ब्रांडिंग करें।
- गांव की महिलाओं या युवाओं को साथ लेकर सहकारी फार्मिंग शुरू करें।
- किसी सफल ऑर्गेनिक किसान से मार्गदर्शन लें।
सफल ऑर्गेनिक किसान की प्रेरणादायक कहानी (संक्षेप में)
सुभाष शर्मा, महाराष्ट्र के एक किसान, जिन्होंने रासायनिक खेती से नुकसान के बाद ऑर्गेनिक खेती शुरू की। उन्होंने वर्मी कम्पोस्ट यूनिट बनाई, खुद जैविक खाद तैयार की और स्थानीय बाजार में अपने उत्पाद सीधे बेचे। आज वह हर साल ₹10 लाख से अधिक का मुनाफा कमा रहे हैं और अन्य किसानों को ट्रेनिंग भी देते हैं।

मेरा नाम ध्यानचंद महतो है, और मैं bestofkhabar.com का फाउंडर और कंटेंट क्रिएटर हूं। मैं हर दिन नई और विश्वसनीय खबरों पर आधारित लेख लिखता हूं। मेरा मकसद है कि मैं लोगों तक सही और भरोसेमंद जानकारी पहुंचा सकूं।