भारत में अगर किसी राज्य को शिक्षा, संस्कृति और मेहनतकश छात्रों के लिए जाना जाए तो झारखंड का नाम गर्व से लिया जा सकता है। इस राज्य की मिट्टी में प्रतिभा बसती है और यह कई वर्षों से ऐसे छात्रों को तैयार करता रहा है जो देश की प्रशासनिक सेवाओं यानी IAS और IPS जैसे प्रतिष्ठित पदों पर नियुक्त होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि झारखंड में एक ऐसा स्कूल भी है, जिसे लोग ‘IAS-IPS की फैक्ट्री’ कहते हैं?
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं झारखंड के गुमला जिले में स्थित राष्ट्रीय आवासीय विद्यालय (Netarhat Residential School) की। यह स्कूल ना केवल शिक्षा की गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह आज भी भारत की प्राचीन गुरुकुल पद्धति को जीवंत बनाए हुए है। यहां शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि चरित्र निर्माण, अनुशासन, नेतृत्व क्षमता और सामाजिक सेवा जैसे मूल्यों पर भी जोर दिया जाता है।
नेतारहाट विद्यालय की स्थापना और इतिहास
नेतारहाट विद्यालय की स्थापना 15 नवम्बर 1954 को तत्कालीन बिहार सरकार द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य था झारखंड के सुदूरवर्ती क्षेत्रों के मेधावी छात्रों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करना और उन्हें देश की मुख्यधारा में लाना। इसे विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी छात्रों को अवसर देने के लिए बनाया गया था।
नेतारहाट स्कूल को बनाने के पीछे एक बहुत ही प्रेरणादायक सोच थी – “शिक्षा ऐसी हो जो जीवन को दिशा दे, सिर्फ डिग्री नहीं।” उस समय के शिक्षा सचिव ई.नील कुट्टी और मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह ने मिलकर इस स्कूल की नींव रखी थी।
गुरुकुल जैसी पढ़ाई की व्यवस्था
नेतारहाट विद्यालय आज भी आधुनिक शिक्षा प्रणाली के बावजूद गुरुकुल पद्धति को अपनाए हुए है। यहां छात्र शिक्षक के सान्निध्य में रहते हैं। वे सिर्फ विषयों को नहीं पढ़ते, बल्कि संस्कार, दायित्व और समर्पण जैसे जीवन मूल्यों को आत्मसात करते हैं।
यहां की खास बातें:
- आवासीय विद्यालय: छात्र स्कूल परिसर में ही रहते हैं। यहाँ का माहौल शांत, प्राकृतिक और ध्यान केंद्रित होता है।
- गुरु-शिष्य परंपरा: शिक्षक विद्यार्थियों के साथ रहते हैं, उन्हें पढ़ाते हैं, मार्गदर्शन देते हैं और उनका संपूर्ण व्यक्तित्व निर्माण करते हैं।
- अनुशासन और आत्मनिर्भरता: छात्र अपने दैनिक कार्य स्वयं करते हैं। स्वावलंबन, अनुशासन और नियमित दिनचर्या उनकी आदत बन जाती है।
प्रशासनिक सेवाओं में बड़ी सफलता
नेतारहाट स्कूल को IAS-IPS की फैक्ट्री इसीलिए कहा जाता है क्योंकि यहां से हर साल बड़ी संख्या में छात्र UPSC जैसी कठिन परीक्षा पास कर प्रशासनिक सेवाओं में चयनित होते हैं। कई पूर्व छात्र देशभर के जिलों में कलेक्टर, एसपी, सचिव, राजदूत और अन्य उच्च पदों पर कार्यरत हैं।
कुछ प्रसिद्ध पूर्व छात्र:
- राजीव टोपनो – भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय में पूर्व सचिव और संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधि।
- अवनीश कुमार अवस्थी – उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव और कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत।
- मनोहर लाल – हरियाणा के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव रहे हैं।
- अनिल स्वर्णकार – कई राज्यों में DGP और IG पदों पर कार्यरत।
इनके अलावा भी सैकड़ों ऐसे नाम हैं जो नेतारहाट विद्यालय से निकलकर IAS, IPS, IFS, IRS, IIT, AIIMS और देश के विभिन्न उच्च पदों तक पहुंचे हैं।
दाखिला प्रक्रिया
नेतारहाट स्कूल में दाखिला पाना बेहद कठिन होता है, लेकिन पारदर्शी। हर साल कक्षा 6वीं में प्रवेश के लिए राज्य स्तर पर प्रतियोगी परीक्षा आयोजित की जाती है। इस परीक्षा में हजारों छात्र भाग लेते हैं लेकिन मात्र 100 छात्रों का चयन होता है।
चयन प्रक्रिया तीन चरणों में होती है:
- लिखित परीक्षा – मैथ, सामान्य ज्ञान, भाषा (हिंदी/अंग्रेजी) पर आधारित।
- साक्षात्कार – छात्रों की सोच, आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता का मूल्यांकन।
- चिकित्सा परीक्षण – शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना आवश्यक।
यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि योग्य, मेहनती और ईमानदार छात्रों को ही प्रवेश मिले।
नेतारहाट की दिनचर्या
यहां की दिनचर्या एकदम अनुशासित और संतुलित होती है। सुबह 5 बजे उठकर योग, प्रार्थना और फिर पढ़ाई का समय तय होता है। शाम को खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियाँ और समूह चर्चा होती है। सप्ताह में एक दिन सामुदायिक सेवा का आयोजन होता है जिसमें छात्र गांवों में जाकर लोगों की मदद करते हैं।
यहां छात्रों को सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं दिया जाता, बल्कि उन्हें सच्चा नागरिक बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
प्राकृतिक सौंदर्य और वातावरण
नेतारहाट को ‘झारखंड का शिमला’ कहा जाता है। यह स्थान चारों ओर से जंगलों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहाँ का शांत और ठंडा वातावरण पढ़ाई के लिए बहुत ही अनुकूल है। हर छात्र को प्रकृति के करीब रहकर जीवन को समझने और आत्मचिंतन का समय मिलता है।
तकनीकी और आधुनिक संसाधनों का समावेश
हालांकि यह स्कूल पारंपरिक शिक्षा प्रणाली पर आधारित है, लेकिन समय के साथ इसने तकनीकी संसाधनों को भी अपनाया है। स्मार्ट क्लास, डिजिटल लाइब्रेरी, लैब्स, कम्प्यूटर सेंटर जैसी आधुनिक सुविधाएं यहां मौजूद हैं।
यह संतुलन ही नेतारहाट विद्यालय को अनूठा बनाता है — जहाँ परंपरा और प्रगति दोनों साथ चलते हैं।
नेतारहाट स्कूल के सामाजिक प्रभाव
नेतारहाट विद्यालय ने न सिर्फ शिक्षा क्षेत्र में योगदान दिया है, बल्कि झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक परिवर्तन की लहर भी लाई है। यहाँ से पढ़े छात्र अपने गांव, जिला और राज्य को बदलने के लिए कार्य करते हैं।
अनेक छात्र समाज सेवा, शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वे सिर्फ नौकरी पाने के उद्देश्य से नहीं पढ़ते, बल्कि समाज को कुछ लौटाने के विचार से आगे बढ़ते हैं।
सरकार का सहयोग और जनभागीदारी
झारखंड सरकार इस विद्यालय को विशेष सहयोग देती है। राज्य के मुख्यमंत्री स्वयं इस विद्यालय की प्रगति पर नज़र रखते हैं। इसके अलावा कई पूर्व छात्र भी समय-समय पर विद्यालय में लौटकर अपने अनुभव साझा करते हैं और छात्रों को प्रेरित करते हैं।
निष्कर्ष
नेतारहाट विद्यालय सिर्फ एक स्कूल नहीं, बल्कि एक संस्था है, एक संस्कृति है, जो आज भी भारत की प्राचीन शिक्षा प्रणाली को सजीव बनाए हुए है। यह विद्यालय उस आशा की किरण की तरह है, जो बताता है कि सही दिशा, अच्छा मार्गदर्शन और समर्पण से कोई भी छात्र ऊँचाइयों को छू सकता है।
यदि देश को ईमानदार, संवेदनशील और सक्षम प्रशासनिक अधिकारी चाहिए, तो नेतारहाट जैसे विद्यालयों को बढ़ावा देना ही होगा। यह विद्यालय एक आदर्श उदाहरण है कि कैसे शिक्षा के जरिए समाज और राष्ट्र दोनों को बदला जा सकता है।

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