भारत विविधता में एकता का प्रतीक देश है, जहां हर क्षेत्र, हर राज्य और हर धर्म के लोग अपने-अपने त्योहारों को पूरे उत्साह और श्रद्धा से मनाते हैं। इन्हीं पर्वों में एक अत्यंत प्रसिद्ध, भव्य और ऐतिहासिक आयोजन है – रथ मेला, जिसे रथ यात्रा के नाम से भी जाना जाता है। 2025 में रथ मेला पहले से कहीं अधिक भव्यता और नई उमंगों के साथ मनाया जाएगा। यह पोस्ट उसी के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पहलुओं पर प्रकाश डालता है।
रथ मेला क्या है?
रथ मेला या रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को भव्य रथों पर बैठाकर मंदिर से बाहर ले जाने की परंपरा है। यह मुख्यतः ओडिशा के पुरी शहर में मनाया जाता है, लेकिन देश के अन्य हिस्सों जैसे बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और गुजरात में भी यह भव्य आयोजन होता है।
रथ मेला 2025 की तिथि और विशेष जानकारी
रथ यात्रा 2025 की तिथि:
📅 रथ यात्रा 2025 – 5 जुलाई, शनिवार को मनाई जाएगी।
(यह तिथि हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को होती है।)
स्थान:
- पुरी (ओडिशा) – सबसे बड़ा आयोजन
- रांची, धनबाद, पटना, जमशेदपुर, अहमदाबाद, कोलकाता, रायपुर – प्रमुख नगरों में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
रथ मेला का धार्मिक महत्व
रथ यात्रा का सीधा संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है, जिन्हें भगवान जगन्नाथ का ही रूप माना जाता है। इस यात्रा के पीछे मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ अपनी मौसी के घर “गुंडिचा मंदिर” जाते हैं। इस दौरान उन्हें रथ पर बैठाकर मंदिर से बाहर ले जाया जाता है ताकि आम जनता भी उनके दर्शन कर सके। यही कारण है कि इसे “आमजन दर्शन उत्सव” भी कहा जाता है।
पुरी रथ यात्रा: अद्वितीय आयोजन
पुरी की रथ यात्रा को देखने के लिए न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर से श्रद्धालु आते हैं। यह आयोजन लगभग 10-12 दिनों तक चलता है। इस दौरान तीन विशाल रथ बनाए जाते हैं:
- नंदीघोष रथ – भगवान जगन्नाथ के लिए
- तालध्वज रथ – बलभद्र जी के लिए
- दर्पदलना रथ – सुभद्रा माता के लिए
इन रथों को लकड़ी से तैयार किया जाता है और इन्हें हाथ से खींचा जाता है। करोड़ों भक्तजन इन रथों को खींचने के लिए आते हैं क्योंकि मान्यता है कि इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
रथ मेला 2025 की तैयारियां
हर साल की तरह 2025 में भी रथ मेला के आयोजन की तैयारियां महीनों पहले शुरू हो जाती हैं:
- रथों के निर्माण में सैकड़ों कारीगर जुटते हैं
- सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस, होम गार्ड और स्वयंसेवकों की तैनाती होती है
- हेल्थ कैम्प, लंगर सेवा, पेयजल व्यवस्था, मोबाइल टॉयलेट आदि की व्यवस्था रहती है
- दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष ट्रेनों और बसों की सुविधा होती है
सांस्कृतिक पहलू और लोक परंपराएं
रथ मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक उत्सव भी है। इस अवसर पर:
- लोक नृत्य, भजन मंडली, ओडिशा का गोटिपुआ नृत्य, झांकियां आदि देखी जाती हैं
- मेले में झूले, खिलौने, हस्तशिल्प वस्तुएं और स्थानीय खानपान की भरमार होती है
- बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के लिए आकर्षण का केंद्र होता है यह मेला
भारत के अन्य राज्यों में रथ मेला 2025
बिहार और झारखंड
- रांची, हजारीबाग, धनबाद, पटना, और गया में भी बड़े रथ मेलों का आयोजन होता है
- ISKCON मंदिरों द्वारा भी भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है
गुजरात
- अहमदाबाद की रथ यात्रा भी उतनी ही भव्य होती है जितनी पुरी की
- मुख्यमंत्री और राज्यपाल स्वयं रस्सी खींचकर शुभारंभ करते हैं
पश्चिम बंगाल
- कोलकाता और मायापुर (ISKCON मुख्यालय) में अंतरराष्ट्रीय स्तर की रथ यात्रा होती है
रथ यात्रा और पर्यटन
रथ मेला 2025 भारत के पर्यटन उद्योग के लिए भी खास होगा। लाखों देशी-विदेशी पर्यटक इस दौरान पुरी और अन्य रथ यात्रा स्थलों पर आएंगे। इससे:
- होटल और हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा
- स्थानीय हस्तशिल्प, खानपान, लोक कला को अंतरराष्ट्रीय मंच मिलेगा
- राज्यों की संस्कृति और लोकजीवन को करीब से देखने का मौका मिलेगा
रथ मेला 2025 से जुड़ी रोचक जानकारियाँ
- पुरी के रथों की ऊँचाई लगभग 45 फीट तक होती है
- लगभग 1400 से ज्यादा लकड़ियाँ एक रथ बनाने में लगती हैं
- भगवान को हर साल नए रथ पर बैठाया जाता है – पुराने रथों का उपयोग नहीं होता
- रथ यात्रा के दौरान भगवान “बीमार” हो जाते हैं, इसलिए स्नान यात्रा और अन्नासार जैसी परंपराएं होती हैं
रथ मेला से जुड़े प्रसिद्ध भजन और गीत
रथ यात्रा के समय श्रद्धालु खास भजनों को गाते हैं। जैसे:
- “जगन्नाथ स्वामी नयन पथ गामी भवतु मे”
- “हरे रामा हरे कृष्णा…”
- ओडिशा और बंगाल के पारंपरिक गीतों की भी धूम रहती है
रथ यात्रा में हिस्सा लेने के लिए सुझाव
यदि आप 2025 में रथ मेला में भाग लेना चाहते हैं, तो निम्न बातों का ध्यान रखें:
- यात्रा की योजना समय से पहले बनाएं
- ऑनलाइन होटल बुकिंग पहले से कर लें
- गर्मी और भीड़ को ध्यान में रखते हुए हल्के कपड़े, पानी, छाता आदि साथ रखें
- धार्मिक भावनाओं का सम्मान करें और अनुशासन बनाए रखें

मेरा नाम ध्यानचंद महतो है, और मैं bestofkhabar.com का फाउंडर और कंटेंट क्रिएटर हूं। मैं हर दिन नई और विश्वसनीय खबरों पर आधारित लेख लिखता हूं। मेरा मकसद है कि मैं लोगों तक सही और भरोसेमंद जानकारी पहुंचा सकूं।